फिच ने भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाकर 6.9 प्रतिशत किया

वर्ष 2016 के नवंबर में नोटबंदी और इस साल जुलाई में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रभाव समेत अन्य कारणों से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। 
फिच रेटिंग्स ने अपने ताजा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कहा है, बैंकों की बढ़ी हुई गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के कारण ऋण वृद्धि और व्यापार निवेश के लिए परिदृश्य कमजोर बना हुआ है। 
इससे पहले, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने प्राइवेट कंपजंप्शन, मैन्युफैक्चरिंग और इन्वेस्टमेंट में कमजोर रुख के कारण पिछले महीने देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर के अनुमान को 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया था। भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2016-17 में 7.1 प्रतिशत रही थी। 

भारत की जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 5.7 प्रतिशत रही जो पिछले साल के इसी अवधि में 6.1 प्रतिशत से कम है। 2013 की शुरुआत से यह सबसे कमजोर वृद्धि है। जीडीपी वृद्धि दर लगातार पांच तिमाहियों से नीचे जा रही है। 

फिच ने कहा कि जीएसटी लागू होने से पहले कंपनियों के पुराने माल निकाले जाने के कारण संभवत: पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा। इस दौरान मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सालाना आधार पर केवल 1.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। प्राथमिक क्षेत्र में भी वृद्धि दर धीमी रही। हालांकि निर्माण और सेवा क्षेत्र में तेजी लौटी। 
रेटिंग एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी की उम्मीद जतायी है। उसने कहा कि खपत बढ़ने से वृद्धि में तेजी आनी चाहिए।

Axact

CentralGyan

Central Gyan | Current Affairs | Jobs | Career | Information Hub |

Post A Comment: