दिल्ली एम्स की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और "वन रेफरल पॉलिसी"
एम्स की लोकप्रियता और समस्याएं
मरीजों की प्राथमिकता: दिल्ली एम्स में इलाज करवाना हर मरीज़ की पहली पसंद है। यहां के डॉक्टरों और चिकित्सा सेवाओं पर मरीजों का भरोसा है। इलाज की गुणवत्ता की उम्मीद में एम्स में भारी भीड़ बढ़ रही है।
बढ़ती समस्या: एम्स, जो एक रेफरल सेंटर होना चाहिए था, अब एक सामान्य हॉस्पिटल बनकर रह गया है। इससे जरूरतमंद मरीजों को समय पर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं।
"वन रेफरल पॉलिसी" की पहल
पॉलिसी का उद्देश्य: एम्स प्रशासन ने देशभर के एम्स के बीच एक "वन रेफरल पॉलिसी" तैयार की है।
यह पॉलिसी मरीजों को नजदीकी एम्स में बेहतर इलाज मुहैया कराने में मदद करेगी।कैसे काम करेगी यह पॉलिसी:
- उदाहरण: बिहार से दिल्ली सर्जरी के बाद फॉलोअप के लिए आने वाले मरीज को पटना एम्स में ही इलाज मिलेगा।
- दिल्ली के डॉक्टर पटना एम्स के डॉक्टरों से संवाद करके मरीज का इलाज कर सकेंगे।
स्थिति और आगे की प्रक्रिया:
फिलहाल पॉलिसी का मैकेनिज्म तैयार है।
एम्स के डॉक्टर व्यक्तिगत स्तर पर अन्य एम्स के डॉक्टरों से बातचीत करके इलाज कर रहे हैं।
इस पॉलिसी को लागू करने के लिए अभी सरकार की मंजूरी का इंतजार है।
दिल्ली एम्स की नई योजनाएं
क्रिटिकल केयर बिल्डिंग:
- 200 बिस्तर की नई बिल्डिंग का निर्माण एम्स ट्रॉमा सेंटर परिसर में होगा।
- इसका उद्देश्य इमरजेंसी मरीजों का गोल्डन टाइम में इलाज सुनिश्चित करना है।
साइबर सुरक्षा:
- आरजी मेडिकल अस्पताल की घटना और साइबर अटैक के मद्देनजर एम्स सेफ AI सिक्योरिटी का उपयोग करेगा।
- यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
बेड कैपिसिटी और नई बिल्डिंग:
- मौजूदा बेड कैपिसिटी: 3600।
- भविष्य में 900 और बेड जोड़ने की योजना है।
- मैदानगढ़ी में नई बिल्डिंग बनाई जा रही है।
डिजिटलाइजेशन:
- दिल्ली एम्स अब पूरी तरह पेपरलेस हो गया है।
- यह ई-ऑफिस वाला देश का पहला एम्स बन चुका है।
एम्स के आंकड़े (2024 की स्थिति)
- ओपीडी में मरीजों की संख्या: हर साल 50 लाख।
- भर्ती मरीजों की संख्या: 3 लाख।
- सर्जरी की संख्या: 3 लाख सालाना।
- आधुनिकता और उपलब्धियां:
- डिजिटल इंडिया पहल के तहत, एम्स ने आधुनिक तकनीकों का सफलतापूर्वक उपयोग किया।