National Medical Register में डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन संकट
देश में आधुनिक चिकित्सा पद्धति (Allopathy) के पंजीकृत चिकित्सकों का केंद्रीकृत डाटाबेस National Medical Register (NMR) लॉन्च हुए आठ महीने से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि अब तक सिर्फ 0.8% डॉक्टरों ने ही इसमें रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है। और इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से 98% आवेदन अब तक स्वीकृत ही नहीं हुए।
NMR को 23 अगस्त 2023 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बड़े धूमधाम से लॉन्च किया था। यह रजिस्ट्री देश के सभी Registered Medical Practitioners (RMPs) की जानकारी — नाम, पता और मान्यता प्राप्त डिग्रियों — को डिजिटल स्वरूप में संकलित करने के लिए बनाई गई है। National Medical Commission (NMC) के अनुसार देश में 13 लाख से अधिक MBBS डॉक्टर पंजीकृत हैं।
RTI में खुलासा – आंकड़े हैरान करने वाले
केरल के RTI कार्यकर्ता और चिकित्सक डॉ. के वी बाबू द्वारा मांगी गई जानकारी के अनुसार, 24 अप्रैल 2024 तक NMC को 10,411 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 10,237 आवेदन स्वीकृत नहीं हुए। इनमें से 139 आवेदनों पर आपत्तियां दर्ज की गईं, जबकि सिर्फ 2 आवेदन औपचारिक रूप से रिजेक्ट हुए।
डॉ. बाबू के मुताबिक —
"13 लाख से ज्यादा डॉक्टरों में से सिर्फ 10 हजार के आसपास ने ही आवेदन किया है। यह कुल का 0.8% है, और उनमें से भी 98% को मंजूरी नहीं मिली। यह स्थिति बेहद गंभीर है।"
जटिल प्रक्रिया बनी बड़ी रुकावट
NMC एक्ट 2019 की धारा 31 के तहत NMR में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इसकी प्रक्रिया बेहद जटिल है। पहले की तरह स्वचालित पंजीकरण (Automatic Enrolment) के बजाय अब डॉक्टरों को आधार कार्ड, डिग्री सर्टिफिकेट और अगर नाम या राज्य मेडिकल काउंसिल का नाम मेल नहीं खाता तो अफिडेविट भी जमा करना पड़ता है।
कई डॉक्टरों का कहना है कि नाम या दस्तावेज़ में मामूली अंतर के कारण उन्हें रजिस्ट्रेशन में महीनों लग गए।
IMA और विशेषज्ञों की नाराज़गी
चार लाख सदस्यों वाला Indian Medical Association (IMA) भी इस प्रक्रिया को लेकर नाराज़ है और पहले ही NMC को सुझाव दे चुका है कि रजिस्ट्रेशन को आसान बनाया जाए। डॉ. बाबू का कहना है —
"अगर यही तरीका चलता रहा तो सभी डॉक्टरों को रजिस्टर करने में 100 साल लग जाएंगे।"
NMR का उद्देश्य देशभर के डॉक्टरों का एक पारदर्शी डाटाबेस बनाना है, लेकिन मौजूदा स्थिति में इसका क्रियान्वयन सवालों के घेरे में है। स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर प्रक्रिया को सरल नहीं किया गया तो न तो पंजीकरण की गति बढ़ेगी और न ही NMR अपने वास्तविक उद्देश्य को पूरा कर पाएगा।
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