👉मानवता एक ऐसा शब्द है जिसकी परिभाषा बहुत ही बड़ी है. जैसे-जैसे मानव प्रगति की राह पर आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे वह मानवता की भावना से दूर होता जा रहा है. आज लोग दूसरों की मदद तो दूर अपनों की ही मदद करने में झिझक महसूस करते हैं. एक देश मानवता को भुला अपने ही देश की जनता पर बम गिराने में लगा है तो दूसरा अपने देश में भागकर आए शरणार्थियों को मार-मार कर भगा रहा है. अफ्रीका में करोड़ों लोग भूख की वजह से दम तोड़ रहे हैं वहीं कांगो जैसे गणराज्यों में हैवानियत का नंगा नाच नाचा जा रहा है. विश्व के कई हिस्सों में मानवता का निरंतर क्षय हो रहा है और इन हिस्सों में मदद के नाम पर जमीनी तौर पर कुछ भी नहीं किया जा रहा है.
💟👉19 अगस्त को विश्व मानवता दिवस मनाया गया। इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र संघ के जिनेवा कार्यालय में हुए कार्यक्रम में वैश्विक मानवीय स्थिति पर ध्यान देने और मिलकर संकट से निपटने की अपील की गयी।
👉संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी समन्वय दफ्तर ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से मानवीय संकट को दूर करने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष कार्यालय ने जोर देते हुए कहा कि विकास को साकार करने के लिए लोगों को आपात मानवीय सहायता देने के साथ शांति स्थापित करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।
💟👉विश्व मानवता दिवस लोगों में मानवता की भावना जगाने के लिए ही शुरू किया गया है. दिसम्बर 2008 में संयुक्त राष्ट्र ने 19 अगस्त को विश्व मानवता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था. दरअसल 19 अगस्त, 2003 को ही बगदाद में संयुक्त राष्ट्र के हेडक्वार्टर पर आतंकवादी हमले में 22 लोग मारे गए थे जिनमें एक समाज सेवक सरगिओ विएरा डी मेलो (Sergio Vieira de Mello) भी शामिल थे. विश्व मानवता दिवस उन सभी लोगों को एक श्रद्धाजंलि थी जिन्होंने अपना जीवन मानवता की राह पर चलते हुए विश्व को समर्पित कर दिया.
👉भारत में भी मानवता के कई ऐसे प्रतीक हैं जिन पर हमें गर्व है,लेकिन आज भारत में भी मानवता का कत्ल होता दिख रहा है.
👉विश्व मानवता दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र ने विश्व के सभी लोगों से अफ्रीका के असहाय लोगों की मदद करने की अपील की है. अफ्रीका के कई हिस्सों में इस समय 11 करोड़ से अधिक लोग भूखमरी और गंभीर अकाल की वजह से पीड़ित हैं. इनमें से सबसे बुरी हालत महिलाओं और बच्चों की है. दूसरे देशों में शरण के लिए भी इनको भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. हालत इतने गंभीर हैं कि संयुक्त राष्ट्र भी सभी पीडितों की मदद करने में खुद को असहाय पा रहा है. जिन लोगों को सहायता मिल रही है वह तो ठीक हैं बाकियों ने अपनी जिंदगी भगवान के सहारे छोड़ दी है.
👉अफ्रीका ही नहीं विश्व के कई अन्य हिस्सों में समाज को मानवता की जरूरत है. आज जहां भी प्राकृतिक आपदाएं या कोई अन्य घटना होती है तो सरकारी मदद से पहले लोग आसपास की जनता से मानवता के नाते मदद की आस रखते हैं. मानवता ही एकमात्र ऐसा हथियार है जिससे हम पूरी मानव जाति की सहायता कर सकते हैं.