NEET-UG 2025 परीक्षा से जुड़ा एक अहम मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां एक अभ्यर्थी ने अपने प्रश्न पत्र में गलत पेज सीक्वेंसिंग और ग़लत स्टेपलिंग का आरोप लगाया था। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए उत्तर पुस्तिका की मैनुअल जांच का आदेश दिया।
जस्टिस बी. वी. नागरथना और के. वी. विश्वनाथन की बेंच ने कहा— "उम्मीदवार को यह संतोष होना चाहिए कि उसकी कॉपियां मैनुअली चेक हुई हैं।" अदालत ने निर्देश दिया कि जांच का परिणाम रिकॉर्ड पर पेश किया जाए।
क्या है मामला?
यह मामला नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित NEET-UG परीक्षा से जुड़ा है, जो MBBS, BDS, AYUSH और अन्य मेडिकल कोर्सेज़ में एडमिशन के लिए आयोजित होती है। सुनवाई के दौरान, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे ने अदालत में प्रश्न पत्र की कॉपी पेश की और बताया कि ग़लती गलत स्टेपलिंग के कारण हुई।
दवे ने कहा कि प्रश्न पत्रों की स्टेपलिंग मैनुअली की जाती है, और यह एक "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" स्थिति है। उन्होंने यह भी बताया कि स्टेपलिंग का काम सेमी-स्किल्ड या सेमी-लिटरेट लोग करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की सख़्त टिप्पणी
बेंच ने कहा— "कम से कम सवालों को क्रम में दिया जाना चाहिए। उम्मीदवार की घबराहट को देखिए, यह कोई सामान्य परीक्षा नहीं है।" अदालत ने यह भी याद दिलाया कि हाल के समय में 17-18 साल के छात्र आत्महत्या तक कर रहे हैं, इसलिए ऐसी ग़लतियों को किसी भी हालत में नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
अगली सुनवाई 12 अगस्त को
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि एक हफ़्ते के भीतर अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका मैनुअली जांची जाए और रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए। मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।
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