TRENDING NOW

News

CentralGyan Current Affairs GK for UPSC, PSC, Banking, SSC Exams

🧪 नोएडा में मेडिकल डिवाइस पार्क में बनेगा गामा रेडिएशन सेंटर, जैव-चिकित्सकीय परीक्षण को मिलेगी नई गति

नोएडा, अक्टूबर 2025 — यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) सेक्टर 28 स्थित मेडिकल डिवाइस पार्क में एक अत्याधुनिक गामा रेडिएशन सेंटर की स्थापना करने जा रहा है। यह केंद्र मेडिकल और बायोटेक उत्पादों की उन्नत जैव-चिकित्सकीय जांच के लिए समर्पित होगा।



इस परियोजना के लिए YEIDA जल्द ही परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत आने वाले बोर्ड ऑफ रेडिएशन एंड आइसोटोप टेक्नोलॉजी (BRIT) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करेगा। BRIT इस केंद्र को तकनीकी विशेषज्ञता, सुरक्षा मानकों और परीक्षण प्रोटोकॉल प्रदान करेगा।

YEIDA के अधिकारी शैलेन्द्र भाटिया ने बताया कि BRIT के साथ हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें अंतिम स्वीकृति प्राप्त हुई और MoU की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह सहयोग मेडिकल डिवाइस निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री परीक्षण को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

🔬 तकनीकी नवाचार को मिलेगा बढ़ावा

इसके अतिरिक्त, YEIDA ने IIT दिल्ली से तकनीकी सुझाव भी मांगे हैं ताकि 350 एकड़ में फैले इस पार्क में अन्य वैज्ञानिक सुविधाएं विकसित की जा सकें। इनमें 3D डिजाइन और रैपिड प्रोटोटाइपिंग लैब, इंटरनेट ऑफ मेडिकल टेक्नोलॉजी (IoMT) सुविधाएं और वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं शामिल हैं।

प्राधिकरण की योजना है कि 3D प्रिंटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन को एकीकृत कर स्टार्टअप्स और निर्माताओं को सहयोग प्रदान किया जाए।

CentralGyan Current Affairs GK for UPSC, PSC, Banking, SSC Exams

 सुपरहेल्थ और यूनाइटेड इमेजिंग का ₹2,500 करोड़ का ऐतिहासिक समझौता

भारत की अग्रणी हेल्थटेक कंपनी सुपरहेल्थ ने वैश्विक मेडिकल इमेजिंग दिग्गज यूनाइटेड इमेजिंग हेल्थकेयर के साथ ₹2,500 करोड़ से अधिक मूल्य का एक ऐतिहासिक समझौता किया है। इस बहुवर्षीय साझेदारी के तहत देशभर में बनने वाले 100 नए सुपरहेल्थ अस्पतालों को अत्याधुनिक MRI, CT स्कैन, डिजिटल एक्स-रे और अन्य रेडियोलॉजी उपकरणों से लैस किया जाएगा।



🧠 तेज़ और सटीक इलाज की दिशा में बड़ा कदम

सुपरहेल्थ के संस्थापक और सीईओ वरुण दुबे ने कहा, “यह साझेदारी भारतीय स्वास्थ्य सेवा के लिए एक निर्णायक मोड़ है। इससे हम आने वाले पांच वर्षों में दशकों की प्रगति को समेट सकेंगे और हर मरीज को विश्वस्तरीय इमेजिंग की सुविधा मिल सकेगी।”

इस समझौते के तहत यूनाइटेड इमेजिंग भारत में एक समर्पित सेवा केंद्र और पार्ट्स डिपो भी स्थापित करेगा, जिससे 1,000 से अधिक उच्च कौशल वाले रोजगार उत्पन्न होंगे।

📊 तकनीक से सशक्त स्वास्थ्य सेवा

यूनाइटेड इमेजिंग के चेयरमैन शुए मिन ने कहा, “हमारा मिशन है ‘समान स्वास्थ्य सेवा सबके लिए’, और सुपरहेल्थ के साथ यह साझेदारी भारत में इस लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”

कंपनी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शिया जुसोंग ने बताया कि भारत में प्रति 10,000 लोगों पर औसतन 10 से भी कम CT स्कैन होते हैं, जो OECD देशों की तुलना में सात गुना कम है। सुपरहेल्थ के नेटवर्क में AI-सक्षम उपकरणों और रियल-टाइम टेलीरेडियोलॉजी के माध्यम से यह अंतर तेजी से कम किया जाएगा।

🏥 सुपरहेल्थ का भविष्य दृष्टिकोण

सुपरहेल्थ की योजना 2030 तक 5,000 बेड वाले 100 अस्पतालों की स्थापना और 50,000 स्वास्थ्य सेवा नौकरियों के सृजन की है। नए इमेजिंग सिस्टम को कंपनी के इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड और AI प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर शोध और जनस्वास्थ्य पहल को बढ़ावा मिलेगा।


CentralGyan Current Affairs GK for UPSC, PSC, Banking, SSC Exams

 🩺 अगले पांच वर्षों में मेडिकल शिक्षा को मिलेगा बड़ा विस्तार: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री

नई दिल्ली, 25 अक्टूबर 2025 — अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली के 50वें दीक्षांत समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने घोषणा की कि आने वाले पांच वर्षों में देश में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर 75,000 नए मेडिकल सीटें जोड़ी जाएंगी।



मंत्री ने बताया कि पिछले 11 वर्षों में भारत में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 819 हो गई है। इसी अवधि में स्नातक सीटें 51,000 से बढ़कर 1,29,000 और स्नातकोत्तर सीटें 31,000 से बढ़कर 78,000 हो चुकी हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने स्वास्थ्य सूचकांकों में उल्लेखनीय प्रगति की है, विशेष रूप से मातृ और शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में। टीबी के मामलों में 17.7% की गिरावट दर्ज की गई है, जो वैश्विक औसत 8.3% से कहीं अधिक है।

🎓 छात्रों को दी प्रेरणा

मंत्री ने AIIMS के स्नातकों से आग्रह किया कि वे चिकित्सा अनुसंधान और शिक्षा में सक्रिय योगदान दें और संस्थान की प्रतिष्ठा को बनाए रखें। उन्होंने उन्हें आजीवन सीखते रहने और नवाचार को अपनाने की सलाह दी।

Read also: 

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने भी समारोह में छात्रों को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने और शिक्षण के क्षेत्र में योगदान देने का आह्वान किया।

इस दीक्षांत समारोह में कुल 326 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई, जिनमें 50 पीएचडी, 95 डीएम/एमसीएच, 69 एमडी, 15 एमएस, 4 एमडीएस, 45 एमएससी, 30 एमएससी (नर्सिंग) और 18 एम.बायोटेक शामिल हैं। साथ ही सात डॉक्टरों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

CentralGyan Current Affairs GK for UPSC, PSC, Banking, SSC Exams

 📰 बेंगलुरु: महिला मरीज से यौन उत्पीड़न के आरोप में डॉक्टर गिरफ्तार, विरोध प्रदर्शन

बेंगलुरु के एक निजी क्लिनिक में 21 वर्षीय महिला मरीज के साथ यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों के बाद एक त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह घटना शहर के अशोक नगर क्षेत्र में शनिवार शाम को हुई, जब पीड़िता अकेली क्लिनिक में गई थी।



महिला ने शिकायत में बताया कि डॉक्टर ने त्वचा संक्रमण की जांच के बहाने उसे छूने की कोशिश की, उसे जबरन कपड़े उतारने को मजबूर किया और करीब आधे घंटे तक अश्लील हरकतें करता रहा। डॉक्टर ने उसे गले लगाया, चूमा और होटल में मिलने का प्रस्ताव भी दिया। पीड़िता ने बताया कि वह आमतौर पर अपने पिता के साथ क्लिनिक जाती थी, लेकिन उस दिन वह अकेली थी।

घटना के बाद पीड़िता के परिवार और स्थानीय लोगों ने क्लिनिक के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर डॉक्टर को हिरासत में लिया। डॉक्टर ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि महिला ने उनके व्यवहार को गलत समझा।

पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 (यौन उत्पीड़न) और 79 (महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाला शब्द, इशारा या कृत्य) के तहत मामला दर्ज किया है। डॉक्टर को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

🔒 सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, पीड़िता की पहचान गोपनीय रखी गई है।


CentralGyan Current Affairs GK for UPSC, PSC, Banking, SSC Exams

 

देश के सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थान, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली, इन दिनों एक ऐसे विवाद के बीच फंसा हुआ है, जिसने संस्थान की आंतरिक व्यवस्था और कार्य-संस्कृति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कार्डियो थोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी (CTVS) विभाग के प्रमुखडॉ. एके बिसोई को एक महिला नर्सिंग अधिकारी द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद उनके पद से हटा दिया गया है 

aiims
AIIMS New Delhi


हालांकि, यहीं से विवाद की असली शुरुआत होती है। डॉ. बिसोई के हटाए जाने के प्रशासन के इस फैसले का एम्स फैकल्टी एसोसिएशन ने विरोध किया है। उनका तर्क है कि एकतरफा और पूर्वाग्रहग्रस्त जांच के आधार पर एक वरिष्ठ सर्जन को बिना उचित प्रक्रिया अपनाए हटाया जाना अनुचित है। इस पूरे प्रकरण ने एक अहम सवाल को जन्म दिया है: क्या यह मामला पीड़ित के न्याय और कर्मचारियों के अधिकारों के बीच की उस बारीक रेखा को दर्शाता है, जहाँ संस्थान की प्रतिष्ठा और निष्पक्षता के बीच संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है?

नर्स के शोषण के आरोप और सर्जन का हटाया जाना

मामले की शुरुआत तब हुई जब एम्स की एक महिला नर्सिंग अधिकारी ने डॉ. बिसोई पर दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए। आरोपों के मुताबिक, डॉ. बिसोई नर्सों के साथ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते थे और उन्हें शिकायत करने पर सबक सिखाने की धमकी देते थे 

इस शिकायत के बाद, एम्स नर्सेज यूनियन भी मैदान में गई और उसने प्रधानमंत्री कार्यालय तक में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई नर्सों के समर्थन में उतरने और संस्थान पर दबाव बनने के बाद, एम्स प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए डॉ. बिसोई को विभाग के प्रमुख पद से हटाने का फैसला किया उनकी जगह सीनियर प्रोफेसर डॉ. वी देवगुरु को विभाग का अंतरिम प्रमुख बना दिया गया 

एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा कि डॉ. बिसोई को जांच पूरी होने तक प्रशासनिक जिम्मेदारियों से मुक्त किया गया है, हालांकि वह अभी भी संस्थान का हिस्सा बने रहेंगे माना जा रहा है कि मामले की जांच एम्स की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) द्वारा की जा रही है 

फैकल्टी एसोसिएशन की आपत्ति

प्रशासन की इस कार्रवाई पर एम्स फैकल्टी एसोसिएशन ने कड़ी आपत्ति जताई है। एसोसिएशन का मानना है कि डॉ. बिसोई को बिना उचित जांच के ही सज़ा देने का प्रयास किया गया है। उनका तर्क है कि इस तरह के फैसले संस्थान में काम कर रहे वरिष्ठ डॉक्टरों के मनोबल के लिए ठीक नहीं हैं और इससे एक असुरक्षा का माहौल बनता है।

फैकल्टी एसोसिएशन ने प्रशासन पर दबाव में आकर फैसला लेने का आरोप भी लगाया है। उनका कहना है कि महज शिकायतों के आधार पर किसी वरिष्ठ फैकल्टी मेंबर को पद से हटानान्यायिक प्रक्रिया के सिद्धांतों के खिलाफ है। एसोसिएशन ने इस बात पर भी जोर दिया है कि ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और आरोपी पक्ष को भी अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलना चाहिए।

पूर्व में भी विवादों में घिरे चुके हैं डॉ. बिसोई

इस मामले ने और भी जटिल रूप अख्तियार कर लिया है, क्योंकि डॉ. बिसोई पर यह पहली बार आरोप नहीं लगे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉ. बिसोई पहले भी कई विवादों का हिस्सा रह चुके हैं।

·         वर्ष 2012 में चिकित्सकीय लापरवाही के एक मामले में उन पर कार्रवाई हुई थी 

·         2019 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ अनियमितताओं के चलते उन्हें निलंबित भी किया था 

·         उसी वर्ष, उन पर उत्पीड़न की एक और शिकायत दर्ज हुई थी, लेकिन उस वक्त कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी 

हालाँकि डॉ. बिसोई ने मौजूदा आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि ये आरोप निराधार हैं और जांच में उनका पक्ष सामने आएगा उन्होंने यह भी दावा किया कि यह मामला नर्स की गैर-क्लीनिकल ड्यूटी को लेकर एक मतभेद से उपजा है 

एम्स में व्याप्त बड़ी समस्या

यह मामला उस बड़े संकट का सिर्फ एक लक्षण भर हो सकता है, जिससे एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान इन दिनों गुजर रहे हैं। हाल ही में सामने आए आंकड़ों के मुताबिक2022 से 2024 के बीच देशभर के 20 एम्स से 429 डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है, जिसमें सबसे ज्यादा 52 इस्तीफे एम्स दिल्ली से ही थे 

इस ब्रेन ड्रेन के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें राजनीतिक हस्तक्षेप, प्रशासनिक उदासीनता, और नेतृत्व की कमी जैसे मुद्दे शामिल हैं इसके अलावा, निजी अस्पतालों में 4 से 10 गुना अधिक वेतन भी डॉक्टरों के पलायन का एक बड़ा कारण है 

इन हालात में, डॉ. बिसोई का मामला सिर्फ एक व्यक्तिगत विवाद नहीं, बल्कि संस्थान में व्याप्त व्यवस्थागत समस्याओं का एक प्रतीक बन गया है। यह मामला संस्थान के भीतर कर्मचारी संबंधों, शिकायत निवारण तंत्र और नेतृत्व की नैतिक जिम्मेदारी पर एक बहस छेड़ देता है।

संस्थान की प्रतिष्ठा और कर्मचारियों के हितों के बीच संतुलन ज़रूरी

एम्स दिल्ली का यह मामला एक जटिल पहेली बनकर उभरा है, जहाँ एक तरफ महिला कर्मचारी की सुरक्षा और न्याय का सवाल है, तो दूसरी तरफ वरिष्ठ डॉक्टरों के अधिकार और निष्पक्ष प्रक्रिया का मुद्दा है। फैकल्टी एसोसिएशन के विरोध ने इस विवाद को और उलझा दिया है।

इस पूरे प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पीड़िता को न्याय मिले और साथ हीआरोपी को भी निष्पक्ष सुनवाई का अवसर मिले। एम्स प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती इस नाजुक संतुलन को बनाए रखने की है। संस्थान की आंतरिक जांच इस मामले का निष्पक्ष समाधान ढूंढ पाती है या नहीं, यह भविष्य के लिए एक मिसाल कायम करेगा।

एम्स जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान से यह उम्मीद की जाती है कि वह सिर्फ चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि कार्यस्थल की संस्कृति और नैतिक मानकों में भी एक आदर्श प्रस्तुत करे। इस मामले का अंतिम परिणाम यही तय करेगा कि क्या एम्स इस उम्मीद पर खरा उतर पाता है।