बंगाल की खाड़ी में 60 हजार वर्ग किलोमीटर तक फैले 'डेड जोन' का पता चला है। समुद्र में बने ऐसे क्षेत्र के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा समाप्त या बहुत कम हो जाती है।
ऑक्सीजन की गैरमौजूदगी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधियों में बदलाव आते हैं, जिससे प्रभावित क्षेत्र में नाइट्रोजन की बड़ी मात्रा खत्म हो जाती है।
बंगाल की खाड़ी में डेड जोन की खोज करने वाले शोधकर्ताओं के दल में गोवा स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी (एनआइओ) के वैज्ञानिक भी शामिल थे।
डेड जोन आमतौर पर उत्तरी और दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट, नामीबिया के तटवर्ती इलाके और भारत के पश्चिमी तट से लगते अरब सागर में पाए जाते हैं।
सदर्न डेनमार्क यूनिवर्सिटी की लॉरा ब्रिस्टॉ ने बताया कि बंगाल की खाड़ी के कुछ क्षेत्रों में ऑक्सीजन नहीं होने की जानकारी पहले से ही थी।
लेकिन, दुनिया के अन्य डेड जोन की तरह यहां नाइट्रोजन में कमी के संकेत नहीं मिले थे।
कारण: वैज्ञानिक दुनिया भर में डेड जोन के विस्तार के पीछे समुद्री सतह के गर्म होने को प्रमुख वजह मानते हैं। हालांकि, बंगाल की खाड़ी में इसके निर्माण के पीछे ग्लोबल वार्मिग की भूमिका स्पष्ट नहीं हो सकती है। इसके अलावा खाड़ी में उर्वरक की मात्रा में लगातार वृद्धि को इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।