चुनाव के दौरान धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगा जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रत्याशी और उसके विरोधी व एजेंट की धर्म, जाति और भाषा का इस्तेमाल वोट मांगने के लिए नहीं किया जा सकता है. supreme court

Pointing upसुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने 4-3 से ये फैसला दिया है. कोर्ट ने हिंदुत्व मामले में कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये फैसला दिया है.

Pointing upसुप्रीम कोर्ट ने साफ किया की अगर कोई उम्मीदवार ऐसा करता है तो ये जनप्रतिनिधित्व कानून (RP Act) के तहत भ्रष्ट आचरण माना जाएगा. ये जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123(3) की जद में होगा.

Pointing upसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न केवल प्रत्याशी बल्कि उसके विरोधी उम्मीदवार के धर्म, भाषा, समुदाय और जाति का इस्तेमाल भी चुनाव में वोट मांगने के लिए नहीं किया जा सकता है. चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष प्रक्रिया है और चुने गए उम्मीदवार का कार्यकलाप भी धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए.

Pointing upसुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि भगवान और मनुष्य के बीच का रिश्ता व्यक्तिगत मामला है. कोई भी सरकार किसी एक धर्म के साथ विशेष व्यवहार नहीं कर सकती. एक धर्म विशेष के साथ खुद को नहीं जोड़ सकती.

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