ज़रूरत नहीं मुखर्जी नगर में जवानी खपाने की , सरकार की नई योजना, प्राइवेट सेक्टर के लोग बन सकेंगे IAS

केंद्र सरकार देश की सबसे प्रतिष्ठित मानी जाने वाली सिविल सेवाओं में सीधी भर्ती की जगह लैटरल एंट्री का भी प्रावधान करने जा रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को इसके लिए प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। सरकार चाहती है कि निजी क्षेत्र के एक्जीक्यूटिव को विभिन्न विभागों में उप सचिव, निदेशक और संयुक्त सचिव रैंक के पदों पर नियुक्त किया जाए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्टाफ के लिए नीति पत्र के जवाब में यह फैसला लिया गया है।

जीरो टॉलरेंस की नीति


इससे पहले केंद्र सरकार ने आईएएस, आईपीएस जैसे सीनियर अधिकारियों से लेकर जिम्मेदार पदों पर आसीन बाबुओं तक अपने 67 हजार सरकारी कर्मचारियों के कामकाज की समीक्षा शुरू की है। मकसद है अच्छा और खराब प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों की पहचान। सेवा से जुड़े कोड ऑफ कंडक्ट का पालन नहीं करने वाले कर्मचारियों को दंडित भी किया जा सकता है। सरकार ने केंद्र में ऊंचे और प्रमुख पद दिए जाने के लिए आईएएस अधिकारियों की स्क्रीनिंग के लिए 360 डिग्री (संपूर्ण) प्रोफाइलिंग शुरू की।
वेतन तय नहीं
सूत्रों के मुताबिक, निजी क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का उनकी योग्यता और अनुभव के आधार पर चयन किया जाएगा। हालांकि, ऐसे लोगों के मौजूदा वेतन का निर्धारण नहीं किया जाएगा। कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनी समिति ऐसे लोगों का अंतिम रूप से चयन करेगी।

पहले कहा था... ऐसा कोई विचार नहीं
पिछले साल ही अगस्त में कार्मिक राज्य मंत्री जीतेंद्र सिंह ने लोकसभा में यह बताया था कि ऐसी समिति गठित करने की कोई योजना नहीं है, जो सिविल सेवाओं में लैटरल इंट्री की संभावना पर विचार कर सके।

शुरुआत में 40 लोगों का होगा चयन
माना जा रहा है कि शुरुआत में निजी क्षेत्रों, शिक्षा, गैर सरकारी संगठनों से जुड़े तकरीबन 40 ऐसे लोगों का चयन किया जाएगा।

Credit: Patrika.com Webportal
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