क्या होती है क्लाउड सीडिंग Cloud seeding in Hindi (मेघ बीजन)
क्या होती है क्लाउड सीडिंग
एक वैज्ञानिक प्रक्रिया जिसमें कृत्रिम वर्षा के उद्देश्य से बादलों में कृत्रिम नाभिकों या केंद्रकों (nuclei) को उत्पन्न किया जाता है जिनके ऊपर water droplets के एकत्रित होने से उनके आकार में वृद्धि होती है और जल की बूँदों (rain drops) अथवा हिम गोलियों (ice pellets) का निर्माण होता है तथा वर्षा प्रारंभ हो जाती है।
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  • क्लाउड सीडिंग के लिए सिल्वर आयोडाइड या ड्राई आइस (ठोस कार्बन डाईऑक्साइड) को रॉकेट या हवाई जहाज के ज़रिए बादलों पर छोड़ा जाता है। हवाई जहाज से सिल्वर आयोडाइड को बादलों के बहाव के साथ फैला दिया जाता है। 
  • विमान में सिल्वर आयोडाइड के दो बर्नर या जनरेटर लगे होते हैं, जिनमें सिल्वर आयोडाइड का घोल हाई प्रेशर पर भरा होता है। 
  • जहां बारिश करानी होती है, वहां पर हवाई जहाज हवा की उल्टी दिशा में छिड़काव किया जाता है। कहां और किस बादल पर इसे छिड़कने से बारिश की संभावना ज्यदा होगी, इसका फैसला मौसम वैज्ञानिक करते हैं। इसके लिए मौसम के आंकड़ों का सहारा लिया जाता है।
  •  इस प्रक्रिया में बादल हवा से नमी सोखते हैं और कंडेस होकर उसका मास यानी द्रव्यमान बढ़ जाता है। इससे बारिश की भारी बूंदें बनने लगती हैं और वे बरसने लगती हैं।

जरूरी है बादल का होना
  • क्लाड सीडिंग से बारिश तभी संभव है, जब आसमान में बादल मौजूद हों। और बादल भी ऐसे, जिनसे बारिश हो सकती है। ऐसे में इसके लिए मॉनसून का समय सबसे बेहतर रहता है, क्योंकि इस मौसम में बादल में नमी की मात्रा अधिक होती है। फिर क्लाउड सीडिंग से बारिश का होना या नहीं होना उस जगह पर हवा की रफ्तार और दिशा व जगह की प्रकृति वगैरह पर भी निर्भर करता है। 
  • क्लाउड सीडिंग के लिए गुम्बदनुमा और परतदार बादल बेहतर होते हैं, क्योंकि इसमें नमी की मात्रा ज्यादा होती है।



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