हरियाणा IPS की 'खुदकुशी' या सिस्टम की 'साजिश'? IAS पत्नी ने DGP पर लगाए सनसनीखेज आरोप!
क्या हरियाणा पुलिस में ईमानदारी अब 'अपराध' बन गई है?
हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने पूरे प्रशासनिक गलियारों में भूचाल ला दिया है। यह सिर्फ एक अधिकारी की मौत नहीं है, बल्कि उस सिस्टम की सच्चाई का पर्दाफाश है, जहां कथित तौर पर ईमानदारी, जाति और सत्ता की राजनीति के आगे इंसानियत दम तोड़ देती है।
मामला तब और भी गंभीर हो जाता है, जब खुद मृतक आईपीएस अधिकारी की पत्नी, जो कि एक आईएएस अधिकारी हैं, उन्होंने इसे आत्महत्या नहीं, बल्कि एक साजिश करार दिया है।
डीजीपी और एसपी पर लगे सीधे आरोप
आईपीएस वाई पूरन कुमार की पत्नी, आईएएस अमनीत पी कुमार, ने इस दुखद घटना के लिए सीधे तौर पर हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया को जिम्मेदार ठहराया है।
अमनीत कुमार का साफ कहना है कि उनके पति बेहद ईमानदार और बेदाग छवि के अधिकारी थे, लेकिन सिस्टम के भीतर फैले जातिगत भेदभाव और लगातार अपमान ने उन्हें इतना तोड़ दिया कि उन्हें यह कदम उठाना पड़ा। उन्होंने अपनी शिकायत में दोनों वरिष्ठ अधिकारियों पर आत्महत्या के लिए उकसाने और जातिगत उत्पीड़न (Harassment) के गंभीर आरोप लगाए हैं।
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8 पन्नों का सुसाइड नोट: क्या है आखिरी गवाही?
चंडीगढ़ पुलिस की जांच में आईपीएस पूरन कुमार का एक 8 पन्नों का सुसाइड नोट बरामद हुआ है। अमनीत कुमार ने दावा किया है कि यह नोट 'एक टूटे हुए मन की गवाही' है, जिसमें कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पति को उनकी जाति (SC पृष्ठभूमि) की वजह से बार-बार नीचा दिखाया गया, अपमानित किया गया और यहां तक कि पूजा स्थलों से भी बहिष्कार किया गया।
'झूठी FIR' और साजिश का दावा
आईएएस अमनीत कुमार ने एक और सनसनीखेज खुलासा किया है। उनका आरोप है कि उनके पति के खिलाफ 6 अक्टूबर को रोहतक के अर्बन एस्टेट पुलिस स्टेशन में एक झूठी FIR दर्ज की गई थी। अमनीत का दावा है कि यह 'डीजीपी के इशारे पर रची गई एक साजिश' थी, जिसका मकसद पूरन कुमार को मानसिक रूप से परेशान करना था।
उन्होंने बताया, "मेरे पति ने मुझे बताया था कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाने की तैयारी चल रही है। वह न्याय की उम्मीद खो चुके थे और बार-बार अपमान सह रहे थे।"
आखिरी वक्त में भी मदद नहीं मिली!
पत्नी अमनीत पी कुमार ने बताया कि आईपीएस पूरन कुमार ने अपनी मौत से पहले डीजीपी कपूर और एसपी बिजारनिया दोनों से संपर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन किसी ने भी उनके फोन का जवाब नहीं दिया।
अमनीत के शब्दों में, "मेरे पति आखिरी वक्त तक अपनी बात रखना चाहते थे, मदद मांग रहे थे, लेकिन सिस्टम ने कान बंद कर लिए। प्रशासनिक उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव ने एक ऐसे व्यक्ति की जान ले ली जिसका एकमात्र अपराध ईमानदार होना था।" उन्होंने यह भी बताया कि उनके पति ने कई बार SC/ST Act के तहत सुरक्षा की मांग की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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परिवार की मांग: "न्याय दिखना भी चाहिए"
आईएएस अमनीत पी कुमार अब अपने पति के लिए हर कीमत पर न्याय की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। उन्होंने चंडीगढ़ पुलिस से डीजीपी और एसपी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है, ताकि वे सबूतों से छेड़छाड़ न कर सकें। उनका सीधा कहना है— "न्याय केवल होना ही नहीं चाहिए, बल्कि दिखना भी चाहिए।"
फिलहाल, चंडीगढ़ पुलिस ने इस मामले में प्राथमिक जांच शुरू कर दी है, और सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह केस भारतीय प्रशासनिक सेवा में व्याप्त अंदरूनी दबाव, जातिगत राजनीति और सत्ता के दुरुपयोग की परतें खोल पाएगा, या फिर यह भी एक 'फाइल' बनकर बंद हो जाएगा।
यह आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की नहीं, बल्कि उस सिस्टम की कहानी है, जो कथित तौर पर ईमानदारी को कुचल देता है।
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