पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर 'नोक-झोंक': क्या ये पड़ोसी फिर से लड़ेंगे या सिर्फ 'चाय पर चर्चा' करेंगे?
आजकल सीमा पर जो ड्रामा चल रहा है न, उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे दो पड़ोसी, जिनके बीच पुश्तैनी ज़मीन का झगड़ा हो, अचानक अपनी-अपनी लाठियाँ निकालकर खड़े हो गए हों। बात हो रही है पाकिस्तान और अफगानिस्तान की, यानी हमारे दो पड़ोसी, जिनके बीच डूरंड रेखा का वो 'लकीर का फकीर' वाला विवाद कभी खत्म ही नहीं होता।
बॉर्डर पर गर्मा-गर्मी का माहौल
हाल ही में खबर आई है कि बॉर्डर पर माहौल फिर से गरम हो गया है। पाकिस्तान की तरफ से आरोप है कि अफगानिस्तान की ज़मीन से आए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के लड़ाकों ने उनके 58 जवान शहीद कर दिए। ये तो हद हो गई! 58 सैनिक खोना कोई मज़ाक नहीं है। अब पाकिस्तान ने इस पर जो 'रिएक्शन' दिया है, वो किसी एक्शन फिल्म के ट्रेलर से कम नहीं है—उन्होंने कंधार और बाकी इलाकों में ड्रोन और हवाई हमले दाग दिए।
ईमानदारी से कहूँ तो, एक तरफ पाकिस्तान पहले से ही पाई-पाई को मोहताज है, और दूसरी तरफ ये बॉर्डर पर युद्ध का 'एक्स्ट्रा खर्च'। ऐसा लगता है जैसे किसी की जेब में 100 रुपये न हों और वो फाइव स्टार होटल में डिनर ऑर्डर कर दे।
'भाई साहब, आपकी छत से कबूतर क्यों आ रहा है?'
अब बात करते हैं अफगान पक्ष की। तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने पाकिस्तान को सीधी-सीधी चेतावनी दे डाली है। उनका कहना है, "अगर शांति नहीं चाहिए तो हमारे पास दूसरे रास्ते भी हैं।"
ये चेतावनी सुनकर ऐसा लगा जैसे कोई बच्चा कह रहा हो, "अगर तुमने मेरी चॉकलेट नहीं दी, तो मैं तुम्हारी शिकायत मम्मी से करूँगा!"
देखिए, समस्या की जड़ बहुत पुरानी है। अफगानिस्तान की तरफ से टीटीपी को 'पार्टी' करने के लिए सेफ-ज़ोन मिल जाता है, और जब पाकिस्तान कहता है कि 'भाई साहब, आपकी छत से हमारे घर में कबूतर (आतंकवादी) क्यों आ रहा है?' तो अफगानिस्तान कहता है, 'यह तो हमारे घर का पालतू कबूतर है, कहीं भी जा सकता है!'
सबसे मज़ेदार बात क्या है? अफगानिस्तान ने भारत के साथ मिलकर एक बयान में जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा बता दिया। पाकिस्तान को ये बात इतनी बुरी लगी कि उन्होंने फौरन अफगान राजदूत को बुलाया और 'मिर्ची' लगने की शिकायत की। मतलब, एक तरफ बॉर्डर पर गोलीबारी चल रही है, और दूसरी तरफ ये राजनयिक 'ट्विटर वॉर' में उलझे हैं।
भविष्य का एजेंडा: कौन बचाएगा?
अब इस पूरे 'फैमिली ड्रामा' में बीच-बचाव करने के लिए सऊदी अरब और कतर जैसे कुछ खाड़ी देश मैदान में आए हैं। ये वो पड़ोसी हैं जो दोनों झगड़ने वालों को चाय-पानी पिलाकर शांत कराने की कोशिश करते हैं।
देखना ये होगा कि क्या ये दोनों देश शांति की मेज पर बैठकर अपनी 'चाय-पर-चर्चा' खत्म करेंगे या फिर ये विवाद और बढ़ेगा। अगर यह संघर्ष युद्ध में बदलता है, तो आप यकीन मानिए, इस पूरे क्षेत्र में सिर्फ अशांति और गरीबी का सैलाब आएगा। और ये बात हम सब जानते हैं कि इस क्षेत्र को अब और किसी विनाश की नहीं, बल्कि थोड़ी-सी 'कॉमन सेंस' की सख्त जरूरत है।
आप ही बताइए, इस झगड़े को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका क्या हो सकता है?
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