हाल में ही CAG ने विभिन्न विभागों से सम्बंधित रिपोर्ट प्रस्तुत की. प्रस्तुत
हैं कुछ महत्वपूर्ण रिपोर्ट के प्रमुख हैं अंश.
CAG: रेल में परोसा जाने वाला खाना इंसानों के खाने लायक नहीं
शुक्रवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ओर से संसद में रखी गई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ
है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दूषित खाद्य पदार्थों, रिसाइकिल किया हुआ खाद्य पदार्थ और डब्बा बंद व बोतलबंद
वस्तुओं का उपयोग उस पर लिखी इस्तेमाल की अंतिम तारीख के बाद भी किया जा रहा है.
फूड पॉलिसी में बदलाव से होती है परेशानी
ऑडिट में पाया गया है कि रेलवे की फूड पॉलिसी में लगातार बदलाव होने से
यात्रियों को बहुत ज्यादा परेशानियां होती हैं. इसलिए रेलवे की फूड पॉलिसी
यात्रियों के लिए हमेशा एक सवाल बनी रहती है. एक निरीक्षण से पता चला है कि
स्वच्छता को बनाए रखने के लिए स्वास्थ्यवर्धक और साफ-सुथरी चीजों का इस्तेमाल
नहीं किया जाता है.
रेलवे और CAG की ज्वाइंट टीम
ने चुने हुए 74 स्टेशनों और 80 ट्रेनों में निरीक्षण किया है. इस दौरान ऑडिटर ने
पाया कि खाने बनाने और सर्वे करने के लिए स्वच्छता का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा
जाता. खाना बनाने के लिए अशुद्ध पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं, डस्टबिन कवर्ड नहीं पाया गया और पूरी तरह से साफ भी नही होता. खाने को मक्खी,
कीड़े-मकोड़े, चूहे और कॉकरोच से बचाने के लिए कोई पुख्ता उपाय नहीं किया
जाता है.
CAG: एयरटेल, वोडाफोन समेत 6
टेलीकॉम कंपनियों ने सरकार को लगाई 7700 करोड़ रुपये का चूना
सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश की 6 निजी क्षेत्र की 6 बड़ी
कंपनियों ने अपना राजस्व कम कर दिखाया है। इन कंपनियों में सुनील भारती मित्तल की
नेतृत्व वाली भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया
और आइडिया सहित निजी क्षेत्र की छह दूरसंचार कंपनियां शामिल है।
रिपोर्ट में दावा है कि टेलीकॉम कंपनियों ने 2010-11 से 2014-15 के दौरान अपने
राजस्व को 61,064.5 करोड़ रुपये कम कर दिखाया है।
इसके चलते सरकार को 7,697.6 करोड़ रुपये का कम भुगतान किया गया है यानी कि इन
कंपनियों की वजह से भारत सरकार को लगभग 7 हजार 697 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान
हुआ है। 21 जुलाई को संसद में पेश नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ताजा
रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि छह ऑपरेटरों ने कुल 61,064.5 करोड़ रुपये का
समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) कम करके दिखाया है। कैग ने पांच आपरेटरों भारती
एयरटेल, वोडाफोन इंडिया, आइडिया सेल्युलर, रिलायंस कम्युनिकेशंस और एयरसेल के लिए 2010-11 से 2014-15
तक इनके खातों का ऑडिट किया।
वहीं सिस्तेमा श्याम के लिए समय सीमा 2006-07 से 2014-15 तक रही। कैग ने कहा
कि राजस्व को कम कर दिखाने की वजह से सरकार को 7,697.62 करोड़ रुपये का कम भुगतान
किया गया है। इस कम भुगतान पर मार्च, 2016 तक ब्याज 4,531.62 करोड़ रुपये बैठता है।
कैग के अनुसार एयरटेल पर 2010-11 से 2014-15 के दौरान सरकार के लाइसेंस शुल्क
और स्पेक्ट्रम प्रयोग शुल्क (एसयूसी) के मद का बकाया 2,602.24 करोड़ रुपये और उस पर
ब्याज का 1,245.91 करोड़ रुपये बनता है।
CAG रिपोर्ट: सेना के पास महज दस दिनों की लड़ाई के लिए गोला-बारूद का रिजर्व
वोडाफोन पर कुल बकाया 3,331.79 करोड़ रुपये बनता है, जिसमें ब्याज का 1,178.84 करोड़ रुपये है। इसी तरह आइडिया पर
कुल बकाया 1,136.29 करोड़ रुपये का है। इसमें ब्याज 657.88 करोड़ रुपये बैठता है।
अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस पर 1,911.17 करोड़ रुपये का
बकाया है। इसमें 839.09 करोड़ रुपये ब्याज के बैठते हैं। एयरसेल पर बकाया 1,226.65
करोड़ रुपये और सिस्तेमा श्याम पर 116.71 करोड़ रुपये का है।
नयी दूरसंचार नीति के तहत लाइसेंसधारकों को अपने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर)
का एक निश्चत हिस्सा सरकार को सालाना लाइसेंस शुल्क के रूप में देना होता है। इसके
अलावा मोबाइल आपरेटरों को स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) भी देना होता है।
Post A Comment: